महाकुंभ 2025: प्रयाग को तीर्थराज कहा गया है। यह समस्त तीर्थों का राजा है। गंगा यमुना की धारा ने संपूर्ण प्रयाग को तीन भागों में बांट दिया है। यह तीनों भाग अग्नि स्वरूप यज्ञबेदी माने जाते हैं। इसमें गंगा- यमुना का मध्य भाग , झूसी और यमुनापार का भाग अरैल मैं पवित्र होकर एक - एक रात निवास करने से अग्नियों के उपासना का फल प्राप्त होता है। सृष्टि के आदि में ब्रह्मा ने यहां एक विशेष यज्ञ किया था इसीसे इस स्थान का नाम प्रयाग कहलाया। वैदिक साहित्य के अनुसार जिस स्थान पर गंगा यमुना एवं सरस्वती परस्पर मिलती हैं वहां स्नान करने वाले स्वर्ग को जाते हैं और जो बुद्धिमान पुण्य आत्मा लोग इस पुण्यभूमि में देह त्याग करते हैं वे मुक्त हो जाते हैं। यदि स्नान माघ मास में हो तो उसका पण्य फल हज़ारों अश्वमेध यज्ञ के समान होता है। उसमें भी यदि महाकुंभ पड़ जाए तू अक्षय फल की प्राप्ति होती है। ऋग्वेद के अनुसार 1000 अश्वमेध यज्ञ, 100 वाजपेय यज्ञ, 100000 बार पृथ्वी की परिक्रमा करने का जो फल प्राप्त होता है वह कुंभ पर्व में स्नान करने से तत्काल होता है।
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