महाकुंभ 2025 : देवगुरु बृहस्पति के कुंभ राशि में तथा सूर्य के मेष राशि में आने पर हरिद्वार में महाकुंभ होता है। प्रयाग में बृहस्पति वृष राशि पर तथा सूर्य मकर राशि पर स्थित होते हैं तब कुंभ पर्व का योग बनता है, उज्जैन में बृहस्पति सिंह राशि पर तथा सूर्य व चंद्र दोनों मेष राशि पर स्थित होते हैं तो इससे कुंभ पर्व होता है। इसी प्रकार नासिक में भी बृहस्पति के सिंह राशि पर रहते हुए ही चंद्रमा और सूर्य भी सिंह राशि पर आ जाते हैं तब कुंभ पर्व होता है।
सूर्य चंद्र जब एक राशि में होते हैं तो वह अमावस्या की बेला होती है। प्रतीकात्मक रूप में सूर्य और चंद्र शरीर में स्थित क्रमशः आत्मा और मन हैं। बृहस्पति ज्ञान के प्रतीक हैं। इस प्रकार आत्मा, मन और बुद्धि के साथ संयुक्त होने से शरीर में स्थित 'अमृत कुंभ' को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।
गीता के संदेश 'मां फलेषु कदाचन' के अनुसार आत्म चिंतन तथा आत्म-मंथन के लिए कुंभ महा पर्व का आयोजन एकदम उचित व्यवहारिक और सार्थक प्रतीत होता है । इस अवसर पर शरीर रूपी कुंभ में अमृत रूपी सद् विचारों को भरने का सौभाग्य प्राप्त होता है।
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