रविवार, 20 अक्टूबर 2024

Mahakumbh 2025: कुंभ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि



महाकुंभ 2025 : ऋग्वेद, अथर्ववेद , शतपथ ब्राह्मण , वैदिक साहित्य, पौराणिक ग्रंथ तथा ज्योतिर्विज्ञान के साक्ष्यों को देखते हुए कुंभ की प्राचीनता स्वतः सिद्ध हो जाती है । इसके अतिरिक्त अग्नि, कूर्म, गरुड़ , वराह, वामन, मत्स्य, पद्म, शिव, विष्णु, स्कंद ,लिंग ,हरिवंश ,श्रीमद् भागवत पुरान व महाभारत तथा वाल्मीकि रामायण एवं अन्य प्राचीन ग्रंथों में वर्णित आख्यानों से भी कुंभ महापर्व की प्राचीनता सिद्ध होती है।
       भारतीय धर्म दर्शनों के अनुसार ऋषि- महर्षि, संत-परमात्मा सृष्टि के रहस्यों और परमात्मा की प्राप्ति हेतु निर्जन वनों, हिम कंदराओं तथा बर्फीली चोटियों को अपनी साधना का उपयुक्त स्थल मानकर वहां रहते आए हैं। ये ऋषि महर्षि एवं संत अपनी साधना का कुछ अंश जन कल्याण के लिए राजाओं के माध्यम से प्रसाद रूप में वितरित करते थे। ये श्रेष्ठ जन कुंभपर्व का योग आने पर जन-सामान्य को ज्ञान विज्ञान और धर्म-अध्यात्म का उपदेश देते थे तथा अपनी तपस्या के अर्जित फल का कुछ अंश प्रदान करते थे। ऐसा कहा जा सकता है की वही परंपरा 'कुंभ महापर्व' या 'कुंभ' मेले का रूप धारण करके हजारों वर्षों से अनवरत चली आ रही है।




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